यह ज़ख्म भी बड़े शरारती हैं मेरे यार !
तुम्हारे न होने के बिच रुलाता है हमें !
तुम्हारे न होने के बिच रुलाता है हमें !
*
ये तड़पन ख़त्म कैसे भी नहीं होती भला
तुम हो कि बीजली सी चमक जाती हो
कैसे पिरोऊँ मैं प्यार के इस मोती को भला,
पल आधी पल में ही तुम यूं चली जाती हो
*
क्या पता था कि तुम वो चांदनी हो?
मैंने तो तुम्हें सिर्फ जाते हुए देखा था
तुम भी तरसती रही लोगों की तरह
और मैं डूबता रहा हूँ सूरज बनकर
*
तुम्हारा यूंही रूठना हमें रास आता नहीं
हम वो नहीं जो मनाते रहें प्यार के लिए
हम वो सावन है जिसे कोइ रोक नहीं सकता,
तुम देखो तो सही, हम कितने बरसते हैं?
- पंकज त्रिवेदी
पल आधी पल में ही तुम यूं चली जाती हो
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क्या पता था कि तुम वो चांदनी हो?
मैंने तो तुम्हें सिर्फ जाते हुए देखा था
तुम भी तरसती रही लोगों की तरह
और मैं डूबता रहा हूँ सूरज बनकर
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तुम्हारा यूंही रूठना हमें रास आता नहीं
हम वो नहीं जो मनाते रहें प्यार के लिए
हम वो सावन है जिसे कोइ रोक नहीं सकता,
तुम देखो तो सही, हम कितने बरसते हैं?
- पंकज त्रिवेदी
अनिर्वचनीय !!!!!!!!!!!!!!
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