Friday, November 2, 2018

छंदमुक्त अभिव्यक्ति FB मंच

(1)
हाँ तुम जरुर आओगी.... पंकज त्रिवेदी
*
मुझे वह सबकुछ याद है -
जो लम्हें तुम्हारे साथ बिठाये हैं
जिन्दगी की जिंदादिली, समर्पण और
वह जज़बाती आँखों की चमक...
मेरे आने पर तुम्हारा मुस्कुराता चेहरा
आज भी नज़रों के सामने तैरता है
जैसे किसी झील में खिला सा कँवल का फूल
क्या तुम्हें आज भी याद है? -
तुम्हारे होंठ थिरकते थे, मेरे कदमों की आहट सुनकर
तुम्हारा जीवन आदि हो गया था,
मेरा एक लब्ज़ सुनाने को बेकरार,
और
मैं भी तरसता था... तुम्हारी मेहमान नवाजी को
कईं बार वह लब्ज़ मेरे होठों पर आते हैं
और फिर अचानक
वही होठों पर उसका अंतिम दम तोड़ देता है...
मैं जानता हूँ -
तुम्हारा कोइ दोष नहीं है
तुम तो झील में रह उस कँवल की तरह
होते हें भी
अपने आपको संभाल नहीं पाई
क्यूंकि -
झील में तो पानी होता है, मछलियाँ होती है
और सिवार भी...!
तुम
शायद उसी सिवार की शिकार हो गई हो
हो सकता है -
आज तुम्हारा पाँव फिसल चुका हो या..
एक दिन तुम्हें कोइ न कोइ
हाथ पकड़कर जरुर उठाएगा
या फिर
उसी सिवार की चिपचिपाहट से
उब जाओगी तुम...
और उस बंधन को तोड़कर बाहर निकलने का
प्रयास करोगी,
हिम्मत से, नेकी से, जज़बात से...
तब तुम्हें कोइ नहीं रोक सकेगा
क्यूंकि -
वह तुम्हारा, खुद का प्रयत्न होगा,
तुम्हारी अपनी समज होगी,
और -
तुम्हारे भीतर पडी वह खुद्दारी...
जो लोग अपने आप सोचते हैं
भला-बुरा भांप लेते हैं
और
अपने उसूलों से जीने की तमन्ना रखते हैं
वही निर्बंध होकर जीवन को पा सकते हैं
मैं तुम्हारे अंदर इंसानियत की वह लो
देखना चाहता हूँ
जो अपने आपको समजें, संभाले और
दूसरों को भी उजाला दिखाएँ
मैं जानता हूँ -
मेरे अरमानों की झोली में तुम्हारी और से
तोहफा तो ज़रूर मिलेगा,
मगर कब...?
यह प्रश्न सीमास्थाम्भ जरुर है -
मुझे इंतजार करना पडेगा
मुझे मालूम है -
न समय तय है और न तिथि...
बस- एक उम्मींद बाँध बैठा हूँ
जो दूरदूर तक एक दिए की तरह
टिमटिमाती हुई नज़र आती है मुझे
मैं उम्मींद पर अब भी कायम हूँ,
हाँ, तुम जरुर आओगी !
इसी लहलिज़ पे... जरूर आओगी !

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(2)
पाँव मेरे !! – पंकज त्रिवेदी
*
नंगे पाँव मेरे
दौड़ते थे जब होता था स्पर्श मिट्टी का
चुभते थे कंकर और कांटें
ये नंगे पाँव !
दौड़ती थी साईकिल और
खनकते जेब में कुछ सिक्के
फिल्मों का सिलसिला था
पढ़ाई के साथ पिटाई भी
शाम को जब थका सा
घर आता था लौटकर
बोज था, बोजिल था मैं
जिम्मेदारियां सवार और
आते-जाते लोग थे, कुछ आशाएं
और विशवास लिएँ
नज़रें कहती किसी की-
क्या गाडी है और बंगला
फिर भी क्यूं परेशान हूँ मैं यह
संवाद करता खुद से ही
न मिट्टी थी, न दौड़ थी
न दोस्तों की मस्ती और फिल्मों का
वह सिलसिला
अब तो कहाँ चुभते थे कंकर
और कांटें भी !
जो कभी घूमते थे, रहते थे नंगे
कितने बेजान हो गएं हैं
पाँव यह मेरे !!
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पंकज त्रिवेदी
जन्म- 11 मार्च 1963
पत्रकारिता- बी.ए. (हिन्दी साहित्य), बी.एड. और जर्नलिज्म एंड मॉस कम्यूनिकेशन (हिन्दी) –भोपाल से
साहित्य क्षेत्र-
संपादक : विश्वगाथा (त्रैमासिक मुद्रित पत्रिका)
लेखन- कविता, कहानी, लघुकथा, निबंध, रेखाचित्र, उपन्यास ।
पत्रकारिता- राजस्थान पत्रिका ।
अभिरुचि- पठन, फोटोग्राफी, प्रवास, साहित्यिक-शिक्षा और सामाजिक कार्य ।
प्रकाशित पुस्तकों की सूचि -
1982- संप्राप्तकथा (लघुकथा-संपादन)-गुजराती
1996- भीष्म साहनी की श्रेष्ठ कहानियाँ- का- हिंदी से गुजराती अनुवाद
1998- अगनपथ (लघुउपन्यास)-हिंदी
1998- आगिया (जुगनू) (रेखाचित्र संग्रह)-गुजराती
2002- दस्तख़त (सूक्तियाँ)-गुजराती
2004- माछलीघरमां मानवी (कहानी संग्रह)-गुजराती
2005- झाकळना बूँद (ओस के बूँद) (लघुकथा संपादन)-गुजराती
2007- अगनपथ (हिंदी लघुउपन्यास) हिंदी से गुजराती अनुवाद
2007- सामीप्य (स्वातंत्र्य सेना के लिए आज़ादी की लड़ाई में सूचना देनेवाली उषा मेहता, अमेरिकन साहित्यकार नोर्मन मेईलर और हिन्दी साहित्यकार भीष्म साहनी की मुलाक़ातों पर आधारित संग्रह) तथा मर्मवेध (निबंध संग्रह) - आदि रचनाएँ गुजराती में।
2008- मर्मवेध (निबंध संग्रह)-गुजराती
2010- झरोखा (निबंध संग्रह)-हिन्दी
2012- घूघू, बुलबुल और हम (હોલો, બુલબુલ અને આપણે) (निबंध संग्रह)-गुजराती
2013- मत्स्यकन्या और मैं (हिन्दी कहानी संग्रह)
2014- हाँ ! तुम जरूर आओगी (कविता संग्रह)
प्रसारण- आकाशावाणी में 1982 से निरंतर कहानियों का प्रसारण ।
दस्तावेजी फिल्म : 1994 गुजराती के जानेमाने कविश्री मीनपियासी के जीवन-कवन पर फ़िल्माई गई दस्तावेज़ी फ़िल्म का लेखन।
निर्माण- दूरदर्शन केंद्र- राजकोट
प्रसारण- राजकोट, अहमदाबाद और दिल्ली दूरदर्शन से कई बार प्रसारण।
स्तम्भ - लेखन- टाइम्स ऑफ इंडिया (गुजराती), जयहिंद, जनसत्ता, गुजरात टुडे, गुजरातमित्र,
फूलछाब (दैनिक)- राजकोटः मर्मवेध (चिंतनात्मक निबंध), गुजरातमित्र (दैनिक)-सूरतः गुजरातमित्र (माछलीघर -कहानियाँ)
सम्मान –
(१) हिन्दी निबंध संग्रह – झरोखा को हिन्दी साहित्य अकादमी के द्वारा 2010 का पुरस्कार
(२) सहस्राब्दी विश्व हिंदी सम्मेलन में तत्कालीन विज्ञान-टेक्नोलॉजी मंत्री श्री बच्ची सिंह राऊत के
द्वारा सम्मान।
(३) त्रिसुगंधी साहित्य रत्न सम्मान -2015 (पाली) राजस्थान
संपर्क- पंकज त्रिवेदी "ॐ", गोकुलपार्क सोसायटी, 80 फ़ीट रोड,
सुरेन्द्र नगर, गुजरात - 363002
मोबाईल : 096625-14007
vishwagatha@gmail.com

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