सपना ही सही
तुम चुपके से आती हो
देखती हो मुझे कविता लिखते
बिना शोर किए, खुशी से क्यूंकि
तुम हमेशा चाहती हो कि
मैं निरंतर लिखता रहूँ
तुम्हारा मौन भी मेरे लिए
बहुत बड़ा संबल है
कईं बार हम ऐसे जी लेते हैं
अपनी ज़िंदगी जिसमें सिर्फ
एक दूसरे की खुशी में ही
अपनी खुशी मान लेते हैं
और जब एक दूसरे की आँखों में
देख लेते हैं तो खुशी से नमीं
छलकती है और हृदय खुशी से
झूमता है और हम भी मन ही मन !
*
पंकज त्रिवेदी
30 जनवरी 2019
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार १ फरवरी २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सुन्दर।
ReplyDeleteअद्भुत ..सत्य परक
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