Friday, June 28, 2019

मैं ऐसा ही हूँ













मैं ऐसा ही हूँ !

मेरे बारे में आप ज्यादा न सोचें 
मैं सिर्फ आपसे ही नहीं, कभी-कभी  
अपनेआप से भी दूर चला जाता हूँ !
अपनी ऑरा को अलग कर देखता हूँ ! 

सोचता भी नहीं कि 
ऐसा क्यूँ होता है मेरे साथ ये सवाल 
ठीक नहीं, आपके साथ भी होता होगा 
हो सकता है आपके साथ नहीं भी ! 

यह जो सारी प्रक्रिया है वो प्रवाहिता है   
अपने जीवन का छोटा सा हिस्सा है
मैं सहजता में जी सकता हूँ, उसीका आश्चर्य है  
फिर भी खुशी से चलता रहता हूँ !

अपेक्षाओं का आवागमन नहीं है 
उस पर ज़बरदस्ती कभी नहीं करता 
मैं उपेक्षा तो कभी भी नहीं करता मगर 
अपेक्षाओं को चुपचाप देखता हूँ ! 

आकलन करता हूँ खुद का 
ऐसा क्या रह गया जो मुझे चाहिए
प्रत्युत्तर नहीं मिलता, न आपसे, 
न किसीसे, न खुद से  और  न खुदा से ! 

ऐसा भी नहीं कि जीवन से उब गया हूँ 
मुस्कुराता, ठहाके लगाता हूँ, लोगों से मिलता हूँ 
क्षणिक गुस्सा, फिर शांत या बह जाता हूँ  
अपनेआप से कुछ चुराता नहीं हूँ !

आयने में खुद को देख लेता हूँ 
खुद पर शर्म नहीं आती न घीन आती है 
कुछ कचोटता भी नहीं है खुद को देखकर 
सुकून सा महसूस करता हूँ ! 

पूजा करता नहीं हूँ, भगवान की या इंसान की 
अच्छे कार्य में भगवान होते हैं, उसे मिलता हूँ 
किसीकी मुस्कराहट मिलती है तो लगता है 
जैसे आशीर्वाद मिल गया है मुझे ! 

सच में, मैं ऐसा ही हूँ !
*
पंकज त्रिवेदी 
28 जून 2019   

Saturday, June 22, 2019

















ए खुदा ! आ बैठ कभी तू मेरी भी चौखट पे 
जैसे लोग भी आकर बैठते है तेरी चौखट पे 

मुझे फुर्सत कहाँ है अपने संसार से तेरे लिए 
तूने दिए है कुछ काम और कुछ बोज सर पे 

लोग भी आते-जाते माँगते है तुझसे ही कुछ
भरोसा कर ले तू, बोज मन का हो तो मुझ पे
*
- पंकज त्रिवेदी

गुमशुदा






















मैं अग़र कभी गुमशुदा हो गया 
अखबार का इश्तेहार हो गया 

चंद लोग ढूंढें न ढूंढेंगे हमें यहाँ 
कोई खुद ही में गुमशुदा हो गया 

मुआमला हो अगर निसबत का
जैसे किसी की आँखों से बह गया
*
- पंकज त्रिवेदी

तुम्हारा वॉक पे जाना






















उमस भरी शाम 
तुम्हारा वॉक पे जाना 
मेरे विचारों में खो जाना 
बातें करने को मन उतावला 
और मेरी व्यस्तता से 
निराशा को लिए तुम्हारा मौन !

शहर की चकाचौंध रौशनी से
एतिहासिक इमारतों का लुत्फ़
अपने मोबाइल कैमरे में कैद करना
तुम्हारा बस चलता तो मुझे भी !

दिनभर की व्यस्तता तुम्हारे
अनुशासन से चलती है, जैसे
तुम्हारे इशारे से बहुत कुछ !
अपने जज़्बात को भी तुमने
कईबार अनुशासन के दायरे में
कैद कर लिया है अकारण !

मैं जानता हूँ तुम पहले ऐसी न थीं
न आज भी हो... मगर इतना कहूं
यह अनुशासन उन अभावों से
जन्म लेकर आएं है तुम्हारी गोद में
जैसे प्रारंभिक स्कूल के बच्चे !
*
पंकज त्रिवेदी
20 June 2018

मौन

कितना मौन संजोकर रखा है
लगता अपना बनाकर रखा है
मोहब्बतें रिवायतें दुनियादारी
कसम से क्या समझ रखा है
दिल जब से धड़कने लगा है
धड़कनों का हिसाब रखा है
*
पंकज त्रिवेदी

सत्य ही शाश्वत















सत्य ही शाश्वत है 
कुछ भी हो न जाएं 

कोई साथ दें न दें 
सत्त्व का जो साथ हैं 

खुद पे यकीन कर लो
खुद ही बड़ा भगवान

खुद माने तुम हो और
तुम्हारी आत्मा परमात्मा !

*
पंकज त्रिवेदी
*
(मेरे मित्र के लिए)

कुछ कहा नहीं जाता





















आजकल कुछ कहा नहीं जाता 
लगता है कुछ लिखा नहीं जाता 

दरमियाँ मेरे उनके मौन पलता 
बात पे बिन कहे रहा नहीं जाता 

मुद्दतों का फांसला होता तो कहें
साथ साथ कुछ कहा नहीं जाता

दुश्वारियाँ बहुत इधर-उधर होगी
खुलकर किसीसे बोला नहीं जाता

आँगन के पेड़ पर गीत गाता रहा
कोई नया पँछी है कहा नहीं जाता
*
पंकज त्रिवेदी 

एक पल मुझे


गोरख आया





















जागो जागो गोरख आया 
गहन गुहा से गोरख आया 

अलख जगाने चलता रहता 
चलमधारी वो गोरख माया

बिन मौसम में बरसता रहता
ख़लक खुदा की फिरता रहता

गज़ब अलौकिक रूप दिखाता
झोली में सुख छल-छल भरता

सोऽहं ओऽहं का ज्ञाता दिसता
साँसों के संग सूफ़ियाना गाता

शास्त्रों का मुखपाठ वो करता
भव्य दिव्यता दर्शन समझाता
*

पंकज त्रिवेदी 

मैं खुद को














मैं खुद को इस कदर जगाता रहा 
जैसे मुझ में ही कोई सोया रहा !

मुद्दतों से खंगालता रहा मैं खुद में 
प्यार है या परदे में खुदा है वो मेरा 

हर शाम सुहानी हो जरूरी तो नहीं
हर शाम के बहाने तुम्हें ढूँढता रहा

देखूं तो कोई दस्तक दे रहा है आकर
मासूम बच्चा माँ की गोद में जो रहा

माँग लेने दो आज माँगे वो सब तेरा
न जाने किस भेष में आता-जाता रहा
*
।। पंकज त्रिवेदी ।।

Tuesday, June 4, 2019

चाहता हूँ


नफरतों को दरकिनार करता हूँ
मैं अपने काम से काम रखता हूँ

और कुछ आता ही नहीं मुझे कुछ

मैं तो सिर्फ प्यार ही प्यार करता हूँ

मेरी न कोई मंज़िल है न चाहत है

मिलकर रहें हम यही तो चाहता हूँ
*
पंकज त्रिवेदी
04 जून 2019

गज़लाष्टमी - सॉलिड महेता (गुजराती ग़ज़ल संग्रह)

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