कितना कुछ उलेच दिया
उस शख्स के पास आज मैंने
मगर जरूरी इतना था कि
कही से कोई स्वार्थ या
पूर्वाग्रह में दबे उस सत्य को
उजागर करना था और कर दिया
क्योंकि ज़िम्मेदारी के समय कोई
अपना नहीं होता, न कोई गैर होता है
सच और सच्चाई ही होती है जो
आपके दिल की आवाज़ होती है
क्योंकि दिल मन के वश नहीं होता
और मन कितना भी चंचल हो
वो दिल को जीत नहीं सकता
आज आखिर दिल ने ही बाज़ी मार दी
*
- पंकज त्रिवेदी
भावपूर्ण चिंतन आदरणीय पंकज जी |
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