वीतरागी मन के फुर्सत के कुछ लम्हे इस ब्लॉग पर...
''कहीं हक ना जटाओं ना अपेक्षा रखो '' ब बहुत बड़ा प्रेरक वाक्य है आदरणीय पंकज जी | सच है अधिकार से रिश्ते कमजोर हो जाते हैं उन्हें उन्मुक्त प्रांगण चाहिए विचरने के लिए | ख्वाबों पर सुंदर निबन्ध के लिए आभार |
''कहीं हक ना जटाओं ना अपेक्षा रखो '' ब बहुत बड़ा प्रेरक वाक्य है आदरणीय पंकज जी | सच है अधिकार से रिश्ते कमजोर हो जाते हैं उन्हें उन्मुक्त प्रांगण चाहिए विचरने के लिए | ख्वाबों पर सुंदर निबन्ध के लिए आभार |
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