भाव-यवनिका : पंकज त्रिवेदी
वीतरागी मन के फुर्सत के कुछ लम्हे इस ब्लॉग पर...
(Move to ...)
Home
▼
Saturday, June 22, 2019
गुमशुदा
मैं अग़र कभी गुमशुदा हो गया
अखबार का इश्तेहार हो गया
चंद लोग ढूंढें न ढूंढेंगे हमें यहाँ
कोई खुद ही में गुमशुदा हो गया
मुआमला हो अगर निसबत का
जैसे किसी की आँखों से बह गया
*
- पंकज त्रिवेदी
No comments:
Post a Comment
‹
›
Home
View web version
No comments:
Post a Comment