ए खुदा ! आ बैठ कभी तू मेरी भी चौखट पे
जैसे लोग भी आकर बैठते है तेरी चौखट पे
मुझे फुर्सत कहाँ है अपने संसार से तेरे लिए
तूने दिए है कुछ काम और कुछ बोज सर पे
लोग भी आते-जाते माँगते है तुझसे ही कुछ
भरोसा कर ले तू, बोज मन का हो तो मुझ पे
*
- पंकज त्रिवेदी
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