Friday, November 2, 2018

सुप्रभात 

तुम्हारे कहकहे से ही खुशहाल रहेंगे हम
आओ मिलकर रहें सदा एकदूजे के हम 

ज़िंदगी के पहलू है दो फूल और कांटे भी
लगें भले ही किसी एक को दर्द बाँटेंगे हम

- पंकज त्रिवेदी

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