Saturday, June 22, 2019

कुछ कहा नहीं जाता





















आजकल कुछ कहा नहीं जाता 
लगता है कुछ लिखा नहीं जाता 

दरमियाँ मेरे उनके मौन पलता 
बात पे बिन कहे रहा नहीं जाता 

मुद्दतों का फांसला होता तो कहें
साथ साथ कुछ कहा नहीं जाता

दुश्वारियाँ बहुत इधर-उधर होगी
खुलकर किसीसे बोला नहीं जाता

आँगन के पेड़ पर गीत गाता रहा
कोई नया पँछी है कहा नहीं जाता
*
पंकज त्रिवेदी 

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