Saturday, December 22, 2018

22 दिसंबर 2018 : अखंड राष्ट्र (दैनिक) प्रत्यंचा - विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की अलग पहचान

22 दिसंबर 2018 : अखंड राष्ट्र (दैनिक)
लखनऊ और मुंबई -मेरा स्तम्भ - प्रत्यंचा
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विदेशमंत्री सुषमा स्वराज की अलग पहचान
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सुषमा स्वराज भाजपा की समर्पित एवं मंजी हुई राजनीतिज्ञ है। जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार आई है तब से पुराने भाजपाई नेताओं को दरकिनार करने में कोई कसर नहीं छोडी गई। इन सभी की लम्बी सूची में सुषमा स्वराज को विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी देने पडी इसके पीछे भी बहुत सारी सच्चाई छीपी है। इस भारत देश को एक सुषमा जी के रूप में न केवल विदेशमंत्री मिली बल्कि एक सहृदयी और ममतामयी मातृशक्ति का भी दर्शन हुआ है। 

2014 में सरकार बनने के बाद विदेश मंत्री सुषमा स्‍वराज ने ईराक में बंदी हुए भारतीयों को सुरक्षित होने के समाचार के साथ भारतीयों को आश्वासन दिया था। इराक में सुन्नी आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाए गए 39 भारतीय कामगार सुरक्षित हैं और उन्हें भोजन-पानी मुहैया कराया जा रहा है, यह जानकारी जब विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने दी थी तब से देश की जनता को लगा था कि अब देश में नई सरकार आई है तो बहुत कुछ देश की भलाई के लिए होगा। फिर भी उन बंदीयों को छुड़वाने में जो समय लगता था उसके लिए सुषमा जी ओ संसद एवं पत्रकारों के सवालों का सामना करना पडा था। तब उन्हों ने सवाल करते हुए कहा था कि 'गोपनीयता पहला सिद्धांत है. फिर मैं कार्य योजना का खुलासा कैसे कर दूं?' बाद में 4000 भारतीय नागरिकों को भारत लौटने में सहायता मुहैया कराई गई थी।

सुषमा स्वराज ने केरल के कांग्रेसी सांसद के. सी. वेणुगोपाल द्वारा लाए गए प्रस्ताव का उत्तर भी दिया था। कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर सिंह, आम आदमी पार्टी के धरमवीर गांधी ने इराक में भारतीय नागरिकों की हालत के बारे में पूछा था तो संतोषकारक प्रत्युत्तर देते हुए उन पर भरोसा रखने को कहा था। उसके बाद केन्या से 3 भारतीय, 7 नेपाली लड़कियों को छुड़वाने के लिए सुषमा जी ने खूब मेहनत से सफलता प्राप्त की थी।  इन लड़कियों को केन्या की राजधानी मोम्बासा में कैद रखा गया था। इन भारतीय लड़कियों के साथ 7 नेपाली लड़कियों को भी छुड़वाकर वापस लाई गई थी। जांच एजेंसियों को शक था कि ये 10 लड़कियां मानव तस्करों के अंतर्राष्ट्रीय गिरोह का शिकार हो गई थीं।

सुषमा स्वराज व्यक्तिगत रूप से बहुत ही विद्वान एवं आदर्श महिला है। यह उनकी भाषा, संस्कार एवं बाह्य व्यक्तित्त्व में भी झलकता है। उन्हों ने विदेशमंत्री पद से विदेशों के साथ भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए और व्यक्तिगत प्रभावशाली छवि भी बनाई। सुषमा जी सितंबर 2018 में यूएन महासभा में पाकिस्तान पर जमकर बरसीं थीं वो भाषण सभी को याद होगा और प्रत्येक भारतीय को उन पर गर्व होगा। सुषमा स्वराज जी ने अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें सत्र को संबोधित किया तब अपने संबोधन की शुरुआत में सुषमा स्वराज ने इंडोनेशिया में आए भूकंप में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि दी थी। यही दर्शाता है कि उनके मन में मानवीय जीवन का कितना मूल्य है और कितनी संवेदना है।

उन्होंने अपने भाषण में पाकिस्तान के आतंकी हमलों और साजिशों को पर्दाफ़ाश करते हुए दोटूक भाषण दिया था, जिसे सुनकर पूरा विश्व स्तब्ध हो गया था। चारों ओर सुषमा जी के भाषण से भारत के प्रति दुनिया के देश देखने लगें और पाकिस्तान को दुत्कारने लगे थे। यह जोश और कमाल सुषमा जी का था, जिन्हों ने प्रत्येक मुद्दे पर सटीक, संक्षिप्त और संयमित भाषा में दुनिया को सबकुछ समझा दिया था। उन्होंने कहा था, ''हम उस बुराई से कैसे लड़ेंगे जिसकी संयुक्त राष्ट्र अब तक परिभाषा तय नहीं कर पाया है।” 

हाल ही में छह साल बाद मुंबई के हामिद निहाल अंसारी की पाकिस्तान से भारत वापसी हुई है। साल 2012 में फ़ेसबुक पर बनी एक दोस्त से मिलने के लिए हामिद पाकिस्तान गए थे। जहां पाकिस्तान के कोहाट में जासूसी और बिना दस्तावेज़ के आरोप में हामिद को गिरफ्तार कर लिया गया था।  हामिद अपने परिवार के सदस्यों के साथ बुधवार को विदेश मंत्री से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे थे। इस दौरान हामिद और उनकी मां भावुक हो गए तब विदेश मंत्री ने उन्हें हिम्मत बंधाई थी।

सुषमा स्वराज से बात करते समय हामिद रोते नज़र आए। इसके बाद सुषमा ने कंधा थपथपाकर हामिद को दिलासा दिया। हामिद की मां फ़ौज़िया अंसारी भी अपनी भावनाओं पर क़ाबू नहीं रख पाईं। उन्होंने रुंधे हुए गले से कहा, "मेरा भारत महान, मेरी मैडम महान, सब मैडम ने ही किया है।"

सुषमा स्वराज सिर्फ भाजपा की नेता नहीं है, वो भारतीय नेता है। उनमें देश और नागरिकों के प्रति अपार स्नेह और सम्मान हम भी महसूस कर सकते हैं। सुषमा जी के कद का एक भी नेता वर्त्तमान सरकार में नज़र नहीं आता। अफसोस इस बात का है कि इस देश में लोग हनुमान जी को आदिवासी, मुस्लिम, जाट और जैन तक कहने लगे हैं। इतनी गिरी हुई राजनीति में से अब सुषमा जी ने घोषणा कर दी है कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगी। जब से मोदी जी ने विदेश मंत्रालय की ज़िम्मेदारी खुद हड़प ली है तो हो सकता है वाजपायी जी और आडवाणी जी के बाद सुषमा जी भी वर्त्तमान सरकार में अपना सम्मान और स्थान खो रही हैं। यही आभास उन्हें हो गया है और लगता है उनकी राजनीतिक यात्रा ज्यादा लम्बी नहीं होगी।  

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