Monday, April 29, 2019

सपनें


















मेरे कच्चे सपनों को 
तुमने हमेशा अपने प्यार की ऊष्मा से 
परिपूर्ण आकार, रंग, रूप और पहचान दी है 

यह मैं भी कर सकता था मगर 
चाहता हूँ कि तुम मेरे इर्द गिर्द रहो सदा ! 

|| पंकज त्रिवेदी ||

2 comments:

  1. वाहह्हह.. गज़ब👍

    ReplyDelete
  2. शानदार पंक्तियाँ और अनमोल भव आदरणीय पंकज जी | सादर शुभकामनायें |

    ReplyDelete

गज़लाष्टमी - सॉलिड महेता (गुजराती ग़ज़ल संग्रह)

https://www.amazon.in/GAZALASHTAMI-SOLID-MEHTA/dp/8194038685/ref=sr_1_8?keywords=vishwagatha&qid=1579500905&sr=8-8 ...