15 दिसंबर 2018 : अखंड राष्ट्र (दैनिक) लखनऊ और मुंबई -
मेरा स्तम्भ - प्रत्यंचा
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हम किसीको देश से मुक्त करना नहीं चाहेंगे, लड़कर जीतेंगे
- पंकज त्रिवेदी
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चीन के राजा ने एक बार लाओत्से को अपने दरबार में बुलाया। राजा ने उनसे अपने राज्य का मुख्य न्यायाधीश बनने का अनुरोध किया। राजा का मानना था कि बुद्धिमान व्यक्ति न्यायाधीश बन जाए, तो उसका राज्य पूरे देश में एक आदर्श राज्य बन जाएगा। हालांकि, पहली बार अनुरोध पर लाओत्से ने मुख्य न्यायाधीश बनने से इंकार कर दिया। राजा बात पर अड़ा रहा। राजा की जिद्द पर लाओत्से ने कहा कि "अगर वह राज्य के मुख्य न्यायाधीश बनते हैं, तो या तो वह न्यायाधीश बने रहेंगे या फिर राज्य की कानून व्यवस्था बनी रहेगी। इन दो चीजों के अलावा और कुछ भी संभव नहीं है।" बावजूद इसके लाओत्से न्यायाधीश बना दिए गए।
पहले ही दिन एक चोरी का मामला उनके समक्ष आया। असल में एक चोर ने राज्य के सबसे धनी आदमी के घर पर चोरी कर उसकी संपत्ति का लगभग आधा धन चुरा लिया था। लाओत्से ने बड़े गौर से दोनों पक्षों को सुना और फिर अपना फैसला सुनाया। फैसले में लाओत्से ने कहा कि चोर और इस धनी व्यक्ति दोनों को 6-6 माह की जेल की सजा दी जाए। इस फैसले को सुनते ही अमीर आदमी चौंक गया। उससे ज्यादा हतप्रभ तो राज्य का राजा था, जो लाओत्से को न्यायाधीश बनाने पर तुला था। अमीर आदमी ने फैसले पर सवाल उठाते हुए लाओत्से से कहा कि "आखिर आप कहना क्या चाहते हो? चोरी मेरे घर हुई है। धन मेरा चुराया गया है और चोर आपके सामने खड़ा है। फिर मैं दोषी, यह कैसा न्याय है?"
लाओत्से ने कहा कि "मुझे लगता है कि मैंने अभी भी चोर के प्रति अन्याय ही किया है। तुम इस चोरी के सबसे बड़े जिम्मेदार हो। तुम्हें चोर से ज्यादा सजा देनी चाहिए। तुमने जरूरत से ज्यादा धन का संचय कर समाज के एक बड़े तबके को संपत्ति से वंचित कर दिया है। तुम धन संचय करने की लालसा में सने हुए हो। तुम्हारे अंदर के लालच ने इस देश में चोरों को प्रोत्साहन दिया है। तुम इस चोर से ज्यादा बड़े गुनहगार हो।"
कांग्रेस अगर चोर (भ्रष्टाचारी) है तो बीजेपी वो धनी है जिसने जरुरत से ज्यादा धन, अहंकार, धर्म की राजनीति, माध्यम-पिछड़ों का अवमूल्यन, अविवेकी भाषा का संचय किया है। जनता ने कांग्रेस को ये सजा दी की पूर्ण बहुमत की जरुरी सीटों से रोक रखा। जब कि भाजपा को अपने कर्मों की सजा दी। इस जीत से कांग्रेस को खुश होने की जरुरत नहीं है। मनोबल बढ़ा है उसीसे 2019 के चुनाव में पूर्ण बहुमत लाना होगा। डायन जब घर देख जाती है तो तांत्रिकों के पसीने छूट जाते हैं, कांग्रेस को ये भूलना नहीं चाहिए। बीजेपी कभी भी पलटवार कर सकती है। कांग्रेस जीत में उनकी मेहनत से ज्यादा बीजेपी की मक्कारीने जिताया है। राहुल जी ने साबित कर दिया कि ‘रॉयल’ कौन होते हैं। संस्कार और भाषा में मोदी को देश के अंतिम व्यक्ति की सीट पर बिठा दिया।
शिवराज ने कहा कि हमें चौकीदारी करना आता है, बैठेंगे नहीं। बहुमत नहीं है तो दावा भी नहीं करेंगे। अब इस विधान को समझें तो बीजेपी की मंशा स्पष्ट हो जाती है। शीतकालीन सत्र में या आगे बीजेपी राममंदिर बनाने का प्रस्ताव सर्वसम्मति के लिए रखेंगी। अगर कांग्रेस ने विरोध किया तो लोकसभा चुनाव के लिए यह विरोध कांग्रेस के लिए भारी पड़ेगा। बीजेपी को सिर्फ इतना कहना होगा कि हमने प्रस्ताव रखा मगर हिन्दू विरोधी कांग्रेस ने रोड़ा डाला। इससे छोटी सोच और दुविधा में रहने वाले वोटर्स बीजेपी की ओर जा सकते हैं। सचिन पायलट और ज्योतिरादित्य सिंधिया जैसे युवा नेता को साथ लेना कांग्रेस परिवर्तन और वोटबैंक के लिए फायदेमंद सिद्ध होगा। सिधु जैसे बेबाकी सांड को लगाम डालनी होगी। बीजेपी के रविशंकर प्रसाद ने यहाँ तक एक पत्रकार को कह दिया कि बेशर्म राहुल के लिए हम ही काफ़ी है, प्रधानमंत्री जवाब देंगे क्या? यही दर्शाता है कि रस्सी जल्दी मगर बल नहीं गए। बीजेपी के प्रवक्ताओं के साथ गोदी मीडिया के लालची पत्रकारों ने जो खेल खेला है उनके सामने तीन राज्यों की कांग्रेसी जीत एक थप्पड़ है। यही गोदी मीडिया हवा के रुख के साथ कांग्रेस की गोदी में बैठने का प्रयास करेंगे। उनके लिए पत्रकारिता नहीं, दलाली है।
किसीने पूछा कि हार में बड़ी ज़िम्मेदारी किसकी? बीजेपी की वादाखिलाफी, नॉटबंदी, जीएसटी, मंदिर-मस्जिद, योगी के विवादी बयान, वसुंधराजी ने बेरोजगार युवाओं को गुंडे कहें, प्रवक्ताओं और मीडिया के गठबंधन की भूमिका रही। देश के सबसे ज़िम्मेदार पद की गरिमा को गिराने वाले मोदीजी ने सोनिया जी के लिए की हुई व्यक्तिगत टिप्पणीयाँ, विधवा स्त्री का बयान, अपनी माँ के नाम रोते हुए दिया भाषण और माँ के नाम मार्केटिंग जैसे कुकर्मों ने हार की ज़मीं तैयार कर दी।
सबसे ज्यादा तारीफ़ मीडिया के लोग ये करने लगे कि जीत के बाद राहुल गांधी प्रेस कांफ्रेस में जिस संयम, विनम्र भाषा, सरलता एवं – “हम किसीको देश से मुक्त करना नहीं चाहेंगे, लड़कर जीतेंगे” – कहा ये देश की जनता को भी प्रभावित कर गया। 2019 में भी बीजेपी ने इन सारी गलतियों को सुधारने का प्रयास नहीं किया तो ये जनता है। बिखेर देगी पल में। इसे हम वाजपेयी-अडवानी-सुषमा की बीजेपी नहीं कह सकते।
ReplyDeleteसटीक विश्लेषण
जात पात धर्म प्रांत भाषा से ऊपर उठा हुआ है ये लोकतंत्र परिणाम |
अंधभक्त देश के प्रति सकारात्मक नही सोच सकता है |
वह सिर्फ सत्ता के करीब रह कर अपने को श्रेष्ठ बताना चाहता है |
यही श्रेष्ठता घातक सिद्ध हुई |
पर ना जाने कब देश की जनता जात पात प्रांत धर्म के नाम पर अंधी हो जाए कह नही सकते हैं |
तब रोटी कपडा मकान किसान और विकास के मुद्दे गौण हो जाते हैं |
पर परिपक्वता तब आती है है जब आप तार्किक और वैग्यानिक होने के साथ सकारात्मक विकासात्मक विचार रखते हो |
पर ये अंध धार्मिक इसके करीब तक सोच ही नही पाता है |
यही पर भारतीय लोकतांत्रिक मुल्यो की कमी दर्शाता है |
पर अब परिपक्वता का दौर आ गया है |
शायद जनमत में.....
दिनेश प्रजापति
विकासनगर
जि. डूंगरपुर
9950592576🙏
दिनेश जी, आपका धन्यवाद
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