Tuesday, June 4, 2019

चाहता हूँ


नफरतों को दरकिनार करता हूँ
मैं अपने काम से काम रखता हूँ

और कुछ आता ही नहीं मुझे कुछ

मैं तो सिर्फ प्यार ही प्यार करता हूँ

मेरी न कोई मंज़िल है न चाहत है

मिलकर रहें हम यही तो चाहता हूँ
*
पंकज त्रिवेदी
04 जून 2019

1 comment:

  1. एक आदर्श व्यक्ति की सुंदर परिभाषा को समेटे ये कुछ पंक्तियाँ बहुत ही शानदार हैं आदरणीय पंकज जी | सादर शुभकामनायें |

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