कितना मौन संजोकर रखा है
लगता अपना बनाकर रखा है
लगता अपना बनाकर रखा है
मोहब्बतें रिवायतें दुनियादारी
कसम से क्या समझ रखा है
कसम से क्या समझ रखा है
दिल जब से धड़कने लगा है
धड़कनों का हिसाब रखा है
धड़कनों का हिसाब रखा है
*
पंकज त्रिवेदी
पंकज त्रिवेदी
No comments:
Post a Comment