ज़िंदगी ने रफ़्तार पकड़ ली है किसी सुपर फ़ास्ट ट्रेन की तरह | हर दिन नई बात, नए काम और नई मंजिल के सपने को पूर्ण करने के लिए घर से निकलना और शाम होते हुए, घर लौटकर चाय पीते हुए दिनभर के अनुभवों को परिजनों के साथ साझा करना...
फिर सभी अपने अपने कार्यों में लिप्त और मैं दिनभर की डाक पढ़कर आँगन में टहलता हुआ देख लेता हूँ मेरे प्रिय हरसिंगार को | उनकी मुस्कराहट ऊर्जा देती है मुझे और मैं अपने संपादन कार्य को समर्पित होता हुआ कई साहित्यकारों की रचनाएं पढ़ता हुआ दूर दूर निकल जाता हूँ... गज़ब का सफ़र होता है यह !
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पंकज त्रिवेदी
जीवन संघर्षों से भरा पूरा चलता सफल असफल डगर पर । चलने का नाम मिला गाड़ी । गाड़ी का पहिया तभी तक सुचारु रूप से चलती रहती है जब तक प्रभु की कृपा प्राप्त होती रहती है । पहिया चलती रहे यही शुभकामना संदेश !
ReplyDeleteआदरणीय श्री सुखमंगल सिंह जी,
ReplyDeleteआपने बिलकुल सही कहा | आपका धन्यवाद |
रोचक दिनचर्या है आपकी आदरणीय पंकज जी | अपनी पसंद का काम अनंत सुख देता है |
ReplyDeleteरेणु जी, मैं ऐसे ही सरल जीता हूँ, जो खुद को आनंद दें उसी में रत रहता हूँ. धन्यवाद
Deleteजी सर,सफ़र तो हमेशा रोचक होता है बशर्ते बोझ कम हो।
ReplyDeleteस्वेता सिन्हा जी, आपने बिलकुल सही कहा. रिश्तों में शर्तें नहीं होती. जितना सरल जीवन, उतना ही आनंद. धन्यवाद
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