Wednesday, December 5, 2018

दर्द ही तो है... !

गज़ब का खेलता है
मेरे साथ
हरदम
हर दिन
हर पल
शायद ज़िंदगी भर साथ निभाएगा

चलो,
कोई तो है न !

ज्यादा मत सोचिए साहब !
और तो कौन होगा?
अपने रुप बदलकर लौट आता है
बहुरुपिया बनकर

दर्द ही तो है... ! 🙏
पंकज त्रिवेदी

2 comments:

  1. दर्द बहरूपिया !!!! बहुत खूब !!!!!!

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  2. रेणु जी, धन्यवाद

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