Saturday, February 2, 2019

मुक्तक














बात केवल ज़बानी नहीं करती थी वो
नज़रें टिक जाती मुझ पर और थी वो

कितना उमडता था भावों का समंदर
कभी चमक या आँसूं से बहती थी वो 


- पंकज त्रिवेदी

No comments:

Post a Comment

गज़लाष्टमी - सॉलिड महेता (गुजराती ग़ज़ल संग्रह)

https://www.amazon.in/GAZALASHTAMI-SOLID-MEHTA/dp/8194038685/ref=sr_1_8?keywords=vishwagatha&qid=1579500905&sr=8-8 ...