Sunday, April 14, 2019

तुम ही जानों..

कोई रंगीन सी कविता कैसे लिखूं मैं? तुम्हारा ख्व़ाब में आना छुप जाना हरसिंगार के पेड़ के पीछे और चुपके से देखना मुझे !


ऐसा लगें राधा मोहभरी नज़रों से देखती हों अपने कृष्ण के समग्र अस्तित्व को सृष्टि के कणकण में... राधे राधे करता हुआ कृष्ण भी ढूँढता तुम्हें ही, निकल जाता है दूर दूर तलक...


दोनों बेख़बर होकर भी कितने करीब पाते हैं, संभाल लेते है एक दूजे की भावनाओं को.. यह कोई खेल है या प्यार का परवान ! राधे बिना कृष्ण अधुरा है तो कृष्ण बिना राधा का क्या वजूद ये तुम ही जानों..

पंकज त्रिवेदी 

3 comments:

  1. बहुत ही शानदार और प्रेमपूर्ण रचना के लिए बधाई 💐😊💐

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  2. बहुत ही सुंदर अभियक्ति ,सादर नमस्कार

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  3. आदरणीय पंकज जी -- बहुत ही सुंदर रचना अनुराग भाव से लबालब !!!!!!!ब्लॉग पर दुबारा हलचल हुई उसके लिए आभार और बधाई |

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