बंद है मेरी आँखें
तेरे ही दीदार के लिए
तेरे ही दीदार के लिए
ए खुदा !
तू है कि खुली आँखों में
समाता जो नहीं !
*
पंकज त्रिवेदी
तू है कि खुली आँखों में
समाता जो नहीं !
*
पंकज त्रिवेदी
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बहुत ही सुंदर पंक्तियाँ आदरणीय पंकज जी | सादर -
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