पुरानी किताबें
पुरानी हस्तप्रत
पुराने हिसाबों की सूची
पुराने रिश्तों की महक
रद्दी में डालने से पहले
सोचा एक नज़र देख लूं
मोतियों से अक्षरों में
उभरता हुआ चेहरा
नज़र आया और बस
देखता रह गया मैं जैसे
बालों में फूल सजाकर
नाचती हुई आती थी
आँखें नचाती वो परी
अंकल, मैंने कविता लिखी
आँखों से टपकती बूंदों में
धुँधला हो गया उसका चेहरा
मेरे हाथ में पीला सा कागज़
मोतियों से अक्षरों में उभरी
वो कविता और उसका चेहरा
शायद अब मेरे हाथ में
यही तो बच पाया है और दिल में
उसकी मासूम सी हँसी !
- पंकज त्रिवेदी
उत्तम कुछ यादें ही तो बची होती है जीवन में जो जीने की वजह बनती है
ReplyDeleteउत्तम रचना
वर्तनी की गंभीर खटकनों के साथ कुछ-कुछ कवितानुमा रचना।
ReplyDeleteभावना जी और चारु जी, आभारी हूँ
ReplyDelete