Monday, November 26, 2018

बेस्ट सेलर : ‘गॉन विद द विंड’

25 नवंबर 2018 : अखंड राष्ट्र (दैनिक) लखनऊ और मुंबई - में 
मेरा स्तम्भ - प्रत्यंचा
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प्रत्यंचा : बेस्ट सेलर : ‘गॉन विद द विंड’ – पंकज त्रिवेदी
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कुछ सालों पहले हिन्दी पत्रकार-लेखिका मनीषा पाण्डेय ने जानकारी दी थी कि बेस्ट सेलर किताब ‘गॉन विद द विंड’ का हिन्दी अनुवाद हो चूका है। युद्ध की पृष्ठभूमि पर लिखे गए इस पुस्तक में पश्चिम के देशो में अपने विविध कालखंडो में उत्कृष्ठ साहित्यिक कृतियों का सृजन हुआ है। रोम की दास्तां का युग, नेपोलियन बोनापार्ट के हिंसात्मक हमले, दो दो विश्वयुद्ध, नागासाकी-हिरोशीमा के परमाणु हमले, जर्मनी में नाज़ीओं का आतंक या गोरे के सामने काले का संघर्ष। दुनिया के ये सारे संघर्षों में ज्यादातर सत्ता के लिए तो कहीं रंगभेद मुख्य कारण रहा था। ये मानसिकता उस दौर में थी और आज भी है। तब सत्ता से महासत्ता प्राप्त करने का खेल विविध देशों के बीच होता था, आज प्रत्येक इंसान में वही आधिपत्य, स्वार्थ, ईर्ष्या के साथ जीवन व्यवहार में भी राजनीति का अनुभव महसूस होता था। 2019 में आनेवाले लोकसभा चुनाव से पहले कहीं न कहीं प्रजा असमंजस में है, बौद्धिकों की असलामाती है, एक्टिविस्ट खतरे में है, देश के बड़े उद्योगपति, कलाकार आदि को कहीं न कहीं समाधान या समर्पण करना मजबूरी है। कहने का तात्पर्य यही कि इतिहास के पन्नों पर आदि मानव से आजतक इंसान निरंतर संघर्ष करता रहा है। यही कायदा जंगल में इसलिए होता था कि वहाँ शक्ति थी मगर बुद्धि नहीं। इंसान पशुता से भी आगे इसलिए बढ़ गया क्यूंकि उनमें स्वार्थ-ईर्ष्या होने से पशुता में भी क्रूरता का समन्वय हो गया है।

ऐसे ही संघर्ष के कथानक में भी ताजगी का अनुभव होता है। 1936 में यह उपन्यास प्रसिद्द हुआ था। जिसका ज़िक्र आज भी बड़ी कठोरता से किया जाता है। अमरीका के गृहयुद्ध पर आधारित और मारग्रेट मिशेल द्वारा लिखित यह उपन्यास यानी ‘गॉन विद द विंड’। समग्र विश्व में सिर्फ युद्धाकथा ही नहीं अपितु कथानक, चरित्र, आलेखन एवं प्रेमकथा की दृष्टि से यह उपन्यास उत्तम साबित हुआ । इस किताब का प्रकाशन होते ही शुरू के छ: महीने में ही रिकार्ड ब्रेक दस लाख से ज्यादा प्रतियाँ बिक गई थी। एक ही दिन में पचास हज़ार प्रतियाँ बिकने का भी रिकार्ड भी इसी किताब के नाम हुआ था। इस उपन्यास के कथानक पर हॉलीवुड के डायरेक्टर विक्टर फ्लेमिंगे ने एक क्लासिक फिल्म बनाई थी। इसी फिल्म के बाद ही क्लासिक फ़िल्में और उसके प्रति दर्शकों का रुझान बढ़ा था। फिल्म में क्लार्क गेबल और विवियन ली ने मुख्य भूमिका की थी।

दक्षिण अमरीका के धनपति ज़मींदार परिवार की बेटी स्कारलेट-ऑ-हारा और एशली बिलकिस के रोमांस से भरपूर यह उपन्यास है। अमरीका के विनाशक गृहयुद्ध के दौरान अनगिनत गाँव-शहर उजड़ जाते हैं। मकानों में आग लगाई जाती है और अनेक परिवार बिछड़ जाते हैं। मानों इसी का हिन्दी अनुवाद के शीर्षक की तरह – ‘कारवाँ गुज़र गया..’ जैसे हालत पैदा हो जाते हैं। इस सारे विद्ध्वंश की ज़मीन पर एक नया और बिना रंगभेद के अमरीका का निर्माण होता है। ‘गॉन विद द विंड’ के कथानक में दिखाई देता दक्षिण अमरीका का जनजीवन, संस्कृति और युद्ध के पीड़ित लोगों की करुण गाथा का सूक्ष्मतापूर्ण, दृश्यात्मक आलेखन हुआ है। जीवन के विनाशकारी पलों के बीच नवजीवन की आस में संघर्ष करती प्रजा के बीच स्कारलेट-ऑ-हारा और एशली बिलकिस की यात्रा कहाँ से कहाँ पहुँचती है। ऐसे जीवन में कैसे बदलाव आता है, उसीका सूक्ष्म-संवेदनात्मक वर्णन रोमांच से भर देता है। 

मारग्रेट मिशेल लेखिका नहीं मगर ‘आटलांटा जनरल’ दैनिक की पत्रकार के रूप में प्रसिद्द थीं। उनकी साहसिकता बेमिसाल थी। पत्रकार होने के कारण उन्हें हमेशा साहस करने में खुशी मिलती। उसी के परिणाम स्वरुप सिर्फ छब्बीस वर्ष की उम्र में घुटने में गंभीर चोट के कारण वो अपाहिज हो गई थी। यही कारण उन्हें अब बिस्तर पे रहने की मजबूरी हो गई थी। ये युद्धकथा उनकी मनोभूमि पर अंकित हो गई थी। उसने बिस्तर पे बैठकर ही ‘गॉन विद द विंड’ लिखने की शुरुआत की थी। उसे क्या पता था कि उनकी कलम से लिखी गई यह कथा एक इतिहास बन जाएंगी और विश्व को स्तब्ध कर देंगी। 


मारग्रेट मिशेल के लिए यह पहली और अंतिम साहित्यिक कृति थी। उसके उपन्यास में कथा साहित्य के साथ अस्खलित काव्यात्मक प्रवाहिता के कारण भाषासौंदर्य खिल उठा है। उसमें रोमांस का गुलाबी रंग घुल जाने से नदी के प्रवाह की तरह बहता है। यह इसलिए संभव हुआ क्यूंकि कथानक ही दमदार है। ‘गॉन विद द विंड’ की कथा में से एक भावक के रूप में गुज़रते समय बड़े केनवास पर फ़ैले हुए जीवन को देखने और महसूस करने का मानों रोमांचक प्रवास हो। यह कथा ‘कल, आज और कल’ की कथा है। युद्ध की त्रासदी, पीड़ादायक एवं करुण परिस्थिति में से गुज़रते मानवजीवन का इतिहास का आलेखन हुआ है, उसे गहराई से समझना चाहिए। हर पल युद्ध की भयावह वास्तविकता जैसे किसी शेर के खुले जबड़े की तरह मानवजीवन को खाने के लिए तत्पर हो! इसका वर्णन दर्शन के बिना संभव नहीं है।

इस महान कृति ने विश्व साहित्य में अजेय स्थान प्राप्त किया है और उसका हिन्दी अनुवाद भी कुछ वर्ष पहले होने से भारतीय भाषा के खजाने में यह अनमोल रत्न भी है। जो हमारे साहित्य को नई दिशा और गति दे सकता है।
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1 comment:

  1. आदरणीय पंकज जी -- पुस्तक के बारे में बहुमूल्य जानकारी के लिए आपका सादर आभार |विदेशी साहित्य की जानकारी कम है सो मुझे बहुत अच्छा लगा पुस्तक के बारे में जानकर | सादर --

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