तुम्हारी
आँखें
बहुत कुछ
कह देती है
तुम्हें
बोलने की ज़रूरत
महसूस ही
नहीं होती है
तुम्हारी
आँखें
मुझे इस
कदर देखती है
जैसे तुम
मुझमें उतर जाती हो
मेरे दिल
की धड़कन सुनती
मेरी रूह
की आवाज़ और
अनकही
बातें समझ लेती हो
तुम्हारी
आँखें
वो माध्यम
है जिसके ज़रिये
तुम मेरे
पूरे व्यक्तित्त्व को
खंगाल लेती
हो और तो और
मज़ेदार बात
यह है कि
तुम्हारी
चुप्पी महसूस करता
तुम्हारी
आँखों से ये मैं जान लेता हूँ
तुम्हारी
आँखें
बड़ी तेज़ है, जिससे कभी तेरे
प्यार की
नमीं उभरती है तो कभी
मेरे
उतावलेपन को रोकने के लिए
ये आँखें
इशारा कर रोक लेती है
तुम मुझे
ऐसे ही देखती रहो और
मैं
तुम्हें देखकर ऐसी ज़िंदगी जी लूं
जिस पे
तुम्हें गर्व महसूस हो !
*
आखों से कितनी उम्मीदे लिए मन की ये रचना बहुत ही सुंदर और ह्रदय स्पर्शी है आदरणीय पंकज जी |आँखें मन का दर्पण होती हैं पर उसकी भाषा पढने के लिए एक कवि मन होना जरूरी है | भावपूर्ण लेखन के लिए हार्दिक बधाई आपको |
ReplyDeleteरेणु जी, ये आँखें तो है जो इंसान के मन को भांप लेता है... धन्यवाद इस प्रोत्साहन के लिए
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