Sunday, December 9, 2018

ध्वंस और निर्माण !
















💐

मेरे किले में
बहुत लोग आते-जाते हैं
कोई आश्चर्य लेकर
कोई सुख और प्यार लिए
कोई ख़रीख़री सुनकर जाएं
कोई अपनी संवेदना जताएं

मगर अब
किले की बुढी दीवारों से
कंकड़ और पत्थर
अपने स्थान को छोड़ रहे हैं
उनके स्थानांतरण से दुःख नहीं
नियति का यही तो नियम है
ध्वंस और निर्माण !
🙏

पंकज त्रिवेदी

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