Monday, April 29, 2019



सपनों को सजाने के लिए अपनों के कंधे पर सर रखने की अपेक्षा कभी न रखो. खुद पे भरोसा करो. अपनी शक्तिओं को संजोकर सही समय पर उसका उपयोग करो. मौन से बड़ी कोई ताकत नहीं होती. मौन खुद से संवाद करने का जरिया है, जो आगे जाकर आत्मा की शक्ति बढाता हैं. भीतर से मजबूती प्रदान करता है. ज़िंदगी के केनवास पर ऐसा चित्र बनाओ जो देखते ही मन मोह लें. संघर्ष का सामना उसे करना होता है, जिसके ऊपर ईश्वर को भरोसा होता है. काले बादल छा जाएँ तो समझो बारिश होगी, आकाश में उडती मिट्टी भीगकर अपनी ज़मीं में मिल जायेगी. हमें भी मिट्टी में मिलना है मगर उस पवित्र संगम से पहले ईश्वर ने जिस कार्य के लिये हमें भेजा है उसे सम्पन्न करने लिए जान लड़ा दो. सफलता पाने की लालच बुरी चीज है, अपने किए पर संतुष्टि पाना ही सर्वोत्तम आनंद हैं. 

- पंकज त्रिवेदी

1 comment:

  1. आदरणीय पंकज जी -- यूँ तो ये निबन्ध मैंने पहले भी दो बार पढ़ा ही पर हर बार कुछ लिखने में खुद को असहज पाती हूँ | आपके इस सत्य को जिया है तभी लिख पाए हैं | आशा है ये अनमोल विचार मेरे जैसे पाठकों के जीवन में कुछ ना कुछ बदलाव जरुर लायेंगे | सादर आभार और नमन आपकी इस अद्भुत रचनाधर्मिता को |

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